शिलालेख
- अशोक के शिलालेखों में ब्राम्ही,खरोष्ठी,ग्रीक और अरमाइक लिपि का प्रयोग किया गया है।
- ग्रीक और अरमाइक लिपि के अभिलेख अफगानिस्तान से, खरोष्ठी लिपि के अभिलेख उत्तरी-पश्चिमी पाकिस्तान से तथा शेष भारत से ब्राम्ही लिपि के अभिलेख प्राप्त हुए हैं।
- अशोक के अभिलेखों को पढ़ने में सबसे पहले सफलता 1837 में जेम्स प्रिंसेप को मिली थी।
- अशोक के 14 शिलालेखों की खोज सबसे पहले पाद्रेटी फेथैलर ने की थी।
- अशोक के अभिलेखों को मुख्यतः 3 श्रेणियों में बाँटा जा सकता हैं।1.शिलालेख 2. स्तम्भ लेख 3. गुहालेख
- अशोक के कुल 14 शिला लेख और 7 स्तम्भ लेख प्राप्त हुए हैं| सभी स्तम्भ लेख ब्राम्ही लिपि में लिखे गए हैं।ये स्तम्भ लेख 6 विभिन्न स्तंभलेख को अकबर ने इलाहबाद के किले में स्थापित कराया था जिसे रानी का अभिलेख भी कहते हैं।
- अशोक का सबसे छोटा स्तम्भ लेख रुम्मिदेई हैं जिसमें की अशोक ने लुम्बनी की धम्म यात्रा के दौरान भू -राजस्व की दर कम करने के लिए घोषणा की हैं।
- खरोष्ठी लिपि दाई ओर से बाई ओर को लिखी जाती हैं।
- अशोक का 7 वां अभिलेख सबसे लम्बा हैं।
- अशोक का शार-ए-कुना(कंदहार) अभिलेख ग्रीक -अरमाइक भाषा में प्राप्त हुआ हैं।
स्तम्भ लेख
अशोक के कुल 7 स्तम्भ लेख प्राप्त हुए है जो कि 6 स्थानों से मिले है।इन सभी स्तम्भ लेखों को ब्राह्मी लिपि में लिखा गया हैं।
- दिल्ली-मेरठ: इस स्तम्भ को फिरोजशाह मेरठ से दिल्ली ले जाया गया था।
- दिल्ली -टोपरा: यह स्तम्भ लेख फिरोज शाह तुगलक द्वारा टोपरा से दिल्ली ले जाया गया।
- प्रयाग स्तम्भ लेख: यह स्तम्भ लेख कौशाम्बी से इलाहबाद किले में अकबर द्वारा स्थापित किया गया।
- लौरिया अरेराज: चम्पारण बिहार में ।
- लौरिया नंदन गढ़: चंपारण(बिहार)में इस स्तम्भ पर मोर का चित्र बना हुआ हैं।
- रामपुरवा: यह स्तम्भ लेख चंपारण(बिहार)में स्थापित हैं इसकी खोज 1872 में कारलायल ने की थी।
अशोक के प्रमुख शिलालेख और उनमें वर्णित राजाज्ञाएं
पहला | पशु बलि की निंदा |
दूसरा | मनुष्य एवं पशु दोनों की चिकित्सा |
तीसरा | राजकीय अधिकारियो को हर 5वें वर्ष दौरे पर जाने के निर्देश व कुछ धार्मिक नियम |
चौथा | भेरी घोष के जगह पर धम्म घोष की घोषणा |
पाँचवा | धरम महामात्रों की नियुक्ति |
छठा | आत्म नियन्त्रण की शिक्षा |
सातवाँ | अशोक की तीर्थयात्राओं का उल्लेख |
आठवां | अशोक की तीर्थयात्राओं का उल्लेख |
नौवां | सच्ची भेंट व सच्चा शिष्टाचार का उल्लेख |
दसवां | राजा और उच्च अधिकारी हमेशा प्रजा हित में सोचे |
ग्यारवाँ | धम्म की व्याख्या |
बारहवां | स्त्री महामात्रों की नियुक्ति,सभी प्रकार के विचारों का सम्मान |
तेरहवां | कलिंग युद्ध व अशोक का ह्रदय परिवर्तन और पडौसी राजाओं का वर्णन |
चौदहवां | जनता को धार्मिक जीवन बिताने को प्रेरित करना |