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दोस्तों आप यह तो जानते ही है कि विभिन्न एक दिवसीय प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टिकोण से History of Ancient India एक महत्वपूर्ण विषय हैं। जिससे काफी संख्या में प्रश्न विगत वर्षों में पूछे जाते रहे हैं। इसीलिए आज की हमारी यह पोस्ट History of Ancient India के एक महत्वपूर्ण topic Bauddh dharm notes से लिया गया है जो कि आपको आने वाले सभी प्रकार के Competitive Exams में बहुत काम आयेंगी ! अतः आप सभी से Request है कि आप इस पोस्ट को अपने Browser के BOOKMARK में Save कर लीजिये, और Check करते रहियेगा ! क्योकिं इस पोस्ट को समय – समय update किया जाता रहेगा तथा नए अध्यायों को जोड़ा जायेगा।🙂 🙂
Baudh dharm notes .दोस्तों बौद्ध धर्म एक महत्वपूर्ण Topic हैं। जिससे विभिन्न एक दिवसीय परीक्षाओं में अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिए आज की इस पोस्ट में हम बौद्ध धर्म से सम्बंधित सभी प्रश्न One Liner के रूप में cover करेंगें।
बौद्ध धर्म Bauddh dharm
बौद्ध धर्म संस्थापक : महात्मा बुद्ध |
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जन्म | 563 ई.पू। |
जन्म स्थल | लुम्बनी (कपिलवस्तु रूममनदेई, नेपाल) |
पिता | शुद्धोधन (शाक्यों के राज्य कपिल वस्तु के शासक) |
माता | महामाया देवी (कोलिय गणराज्य की राजकुमारी) |
पालन पोषण | गौतमी प्रजापति |
बचपन का नाम | सिद्धार्थ |
विवाह | 16 वर्ष की आयु में यशोधरा से(कोलिय गणराज्य की राजकुमारी) |
पुत्र | राहुल |
गृह त्याग की घटना | महाभिनिष्क्रमण (29 वर्ष की आयु में) |
सारथि | चन्ना |
प्रिय घोडा | कंथक |
ध्यान गुरु | अलार कलाम |
ज्ञान प्राप्ति | 35 वर्ष की आयु में वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध कहलाए |
ज्ञान प्राप्ति स्थल | गया(बौद्ध गया, बिहार) निरंजना नदी के तट पर, घटना-सम्बोधि |
वृक्ष | वट वृक्ष |
शिष्य | आनंद व उपालि |
प्रथम उपदेश (पालि) | स्थल –ऋषि पत्तन के मृगदाव (सारनाथ), आचरण की शुद्धता, स्थानवाली-पांचब्राह्मण (पंचवर्गीय) |
अंतिम उपदेश | सुभद्र (कुशीनगर )मल्ल |
धर्म प्रचार स्थल | काशी, कौशल, मल्ल, मगध, अंग, शाक्य, वज्जि |
जीवन का अंत | 483ई.पू. में 80 वर्ष की आयु में वैशाख पूर्णिमा कुशीनगर (उ0प्र०) कसियांगांव |
बुद्ध के जीवनकी महत्वपूर्ण घटनाएं व उनके प्रतीक |
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घटना | प्रतीक |
गर्भ | हाथी |
जन्म | कमल |
यौवन | सांड |
गृह त्याग (महाभिनिष्क्रमण) | घोडा |
ज्ञान प्राप्ति | बौधि वृक्ष (पीपल) |
समृद्धि | शेर |
प्रथम प्रवचन (धर्मचक्रप्रवर्तन) | चक्र |
निर्वाण | पदचिन्ह |
मृत्यु (महापरिनिर्वाण ) | स्तूप |
बौद्ध धर्म की मान्यताएं :-
- बौद्ध धर्म ईश्वर को नहीं मानता लेकिन पुनर्जन्म में विश्वास रखता हैं।
- बौद्ध धर्म अनात्मवादी हैं लेकिन इसकी एक शाखा सामित्य आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार करती हैं।
- बौद्ध धर्म के अनुसार मानव व्यक्तिव पांच स्कन्धों( रूप, वेदना, संज्ञा, संस्कार, विज्ञान) से मिलकर बना है।
- भगवान बुद्ध ने संसार को दुःखमय माना हैं और दुःख का कारण लोगों की इच्छा व लालसा हैं।
- भगवान बुद्ध ने दुःख की निवृति के लिए अष्टांगिक मार्ग का उपाय बताया हैं।
- बौद्ध धर्म मध्यम मार्गी हैं। इसमें न तो अधिक भोग विलास करना चाहिए और न ही अधिक संयम करना चाहिए।
- बौद्ध धर्म के अनुसार चार आर्य सत्य हैं-
- दुःख ही दुख
- दुःख का कारण तृष्णा
- दुःख का निवारण
- दुःख निरोधगामी -प्रतिप्रदा
बौद्ध संघ में प्रवेश के नियम:-
- बौद्ध संघ का गठन गणतंत्रात्मक प्रणाली के आधार पर किया गया था।जिसमें प्रवेशकेलिए जाति व लिंग का कोई भेदभाव नहीं था।
- इसमें कोई भी व्यक्ति जो अस्वस्थ्य, शारीरिक विकलांग, ऋणी, सैनिक या दास न हो और 15 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका हो अपने माता पिता की आज्ञा से संघ में प्रवेश पा सकता हैं।
- संघ की बैठक के लिए कोरम 20 सदस्यों का था।बैठक में किसी भी विषय पर मतभेद होने की दशा में मतदान गुप्त और प्रत्यक्ष किसी भी विधि से कराया जा सकता था।
संघ की कुछ महत्वपूर्ण शब्दावली | |
सभा में किसीभी प्रस्ताव को | नत्ति या वृति |
प्रस्ताव पाठ | अनुसावन |
बहुमत से पारित प्रस्ताव | भूकसिकम |
गुल्हक़ | गुप्त |
विवतक | प्रत्यक्ष |
सभा में बैठने की व्यवस्था करने वाला अधिकारी | आसन प्रज्ञापक |
एकत्र होकर धर्मवार्ता करने को | उपोसथ |
संघ में प्रविष्ट होना | उपसम्पदा |
गृहस्थ जीवन का त्याग | प्रवज्या |
प्रवज्या ग्रहण करने वाला | श्रामणेर |
श्रामणेर का आचार्य से शिक्षा लेना | उपसम्पदा /भिक्षुपद |
बौद्ध धर्म के शील या शिक्षापद
बौद्ध धर्म के अनुसार 10 शीलहोते हैं जिन्हें शिक्षापद भी कहा जाता हैं। जो निम्नानुसार हैं —
- सत्य
- अहिंसा
- अस्तेय (चोरी न करना)
- अपरिग्रह (धन संचय न करना)
- ब्रह्मचर्य का पालन करना
- दोपहर के बाद भोजन न करना
- व्यभिचार न करना
- मद्य का सेवन न करना
- आरामदायक शैया का त्याग करना
- आभूषण का त्याग करना
याद रक्खे – बौद्ध भिक्षुओं के लिए 10 शीलों का पालन करना अनिवार्य था, जबकि गृहस्थ के लिए प्रारम्भ के केवल 5 शीलों का पालन करना ही आवश्यक था।
परीक्षा में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण तथ्य
- महात्मा बुद्ध के जीवन से सम्बंधित तीन महत्वपूर्ण घटनाऐं जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महपरिनिर्वाण वैशाख के पूर्णिमा को हुए थे। इसलिए बैशाख की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता हैं।
- महात्मा बुद्ध ने तपस्स और माल्लिक नामक दो शूद्रों को बौद्ध धर्म का पहला अनुयायी बनाया था।
- महात्मा बौद्ध ने अपने जीवन में सर्वाधिक उपदेश कौशल देश की राजधानी श्रीवस्ती में दिए थे।
- महात्मा बुद्ध ने अपने जीवन अंतिम उपदेश कुशीनगर के परिव्राजक शुभद्र को दिया था।
- कुशीनगर उत्तर -प्रदेश के देवरिया जिले के कसिया गांव हैं।
- बुद्ध के पंचशील सिद्धांत का वर्णन छान्दोग्य उपनिषद में मिलता हैं।
- बौद्ध धर्म की प्रचार – प्रसार की भाषा पाली थी।
महात्मा बुद्ध के मृत्यु के बाद उनकी शिक्षाओं को संकलित कर तीन पिटकों में विभाजित कर दिया गया जो निम्नानुसार हैं-
नाम | स्वरूप | विषय |
सुत्त पिटक | बृहत्तम | बुद्ध के उपदेश और संवादों का संकलन |
अभिधम्म पिटक | मध्यम | बुद्ध के आध्यात्मिक व दार्शनिक विचारों का संकलन |
विनय पिटक | लघुत्तम | बौद्ध धर्म केआचार-विचार व नियम- निषेध का संकलन |
बौद्ध धर्म के सरंक्षक शासक
- मगध के हर्यक वंश के शासक- बिम्बिसार और अजातशत्रु
- कौशल नरेश प्रसेनजित
- बत्स नरेश उदयन
- मौर्य वंशीय मगध नरेश- अशोक और दशरथ
- कुषाण वंश के शासक- कनिष्क
- पुष्यभूति सम्राट –हर्षवर्धन
- सिंध के सहसी वंश के शासक
वे शासक जिन्होंने बौद्ध धर्म को सबसे अधिक नुकसान पहुचायां
- ब्राह्मण शासक पुष्यमित्र शुंग
- शैव सम्प्रदाय को मानने वाले मिहिरकुल
- गौड़ शासक शशांक जिन्होंने बोधगया के बोधिवृक्ष को काट डाला था।
बौद्ध संगीतियाँ |
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क्रम | स्थान | वर्ष | अध्यक्ष | शासन |
प्रथम | राजगृह | 483 ई.पू. | महकस्सप | अजातशत्रु |
द्वितीय | वैशाली | 383 ई.पू. | साबकमीर | कालाशोक |
तृतीय | पाटलीपुत्र | 250 ई.पू. | मोगलीपुत्र तिस्स | अशोक |
चतुर्थ | कुण्डलवन (कश्मीर ) | प्रथम सदी ई.पू. | वसुमित्र | कनिष्क |
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