ताम्रपाषाण युग Chalcolithic Age
नव पाषाण काल के अंत होते -होते मानव ने धातुओं का प्रयोग करना सीख लिया था। मानव ने सबसे पहले तांबा धातु का प्रयोग किया था। मद्रास के अतिरमपक्कम से प्राप्त कुल्हाड़ी से ऐसा अनुमान लगाया जाता हैं; कि सम्भवतः ताम्रपाषाण युग का प्रारम्भ 5000 ई0 पू0 शुरू हो गया था।
ताम्र पाषाण युगीन मानव ने भारत में प्रथम बार ग्रामीण सभ्यता की स्थापना की। ये लोग ऐसे भागों में फैले थे जहाँ पहाड़ी जमीन और नदियां थी। ये लोग लिखने की कला नहीं जानते थे।
♦ कांस्य युगीन सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी जबकि ताम्र पाषाण सभ्यता एक ग्रामीण सभ्यता थी।
♦ यह लोग लिखने की कला नहीं जानते थे।
- ताम्र पाषाण युग के लोग गाय, भेड़, बकरी, सूअर, भैंस, पालन करते थे। यह लोग हिरण का शिकार भी करते थे। परंतु इस सभ्यता के लोग घोड़े से परिचित थे या नहीं इसका कहीं भी प्रमाण नहीं मिलता है।
- ताम्र पाषाण कालीन लोग गेहूं, चावल, बाजरा, मंसूर, उड़द, मूंग, मटर, रागी और कपास का उत्पादन करते थे।
- ताम्र पाषाण कालीन सभ्यता के लोग वस्त्र निर्माण की कला से भी परिचित थे।
- यह लोग मछली पकड़ने के लिए कांटे (बंसी) का प्रयोग करते थे।
- इन लोगों ने चित्रित मृदभांडो का प्रयोग शुरु कर दिया था। जिसमें काले वह लाल मृदभांड प्रमुख थे।
- ताम्र पाषाण युग के लोग मातृ देवी की पूजा करते थे। इस काल के लोग कच्ची मिट्टी की नग्न मूर्तिकाओ को पूजते थे।
- जोर्वे संस्कृति के स्थल इनामगांव से मातृ देवी की पटवा मिली है।
आवास:
♦ यह लोग पकी हुई ईटों से परिचित नहीं थे। अपने घरों को बांस, फूस पर गीली मिट्टी से थोप कर बनाते थे। जिनका आकार गोलाकार या चौकोर होता था। केवल आहार संस्कृति के लोग ही पत्थर से बने घरों में रहते थे।
♦ ताम्र पाषाण संस्कृतियों में जोर्वे सबसे बाद की संस्कृति हैं। जोरवे संस्कृति के अंतिम काल में दैमाबाद व इनाम गांव में नगरीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। जोर्वे संस्कृति का सबसे बड़ा गांव दैमाबाद था।
♦ इनामगांव स्थल पर चूल्हों सहित बड़े -बड़े कच्ची मिटटी के गोलाकार गड्ढों वाले मकान मिले हैं।
♦ इनामगांव ताम्र -पाषाण युग की एक बड़ी बस्ती रही होगी। इसमें इसमें 100 से भी अधिक घर कई कब्रें पाई गई हैं। यह बस्ती किलाबंद हैं और खाई से घिरी हुई हैं।
ताम्र पाषाण कालीन प्रमुख स्थल: